Tuesday, February 3, 2009

अपने गिरेबान में झांको

हजारों लोग नर्मदा जयंती के जाम में फंसे और पिसे, लेकिन जिम्मेदार लोगों के कानों में जूं नहीं रेंगी। रेंगती भी क्यों? अधिकांश तो घर में चैन से सो रहे थे। जो श्रद्धा या ड्यूटी की मजबूरी के कारण वहां मौजूद थे वो जाम को ख़त्म करने की बजाय ख़ुद निकलने की जुगत में लगे थे। इस चक्कर में इन लोगों ने यातायात के नियम कायदों को ताक पर रख दिया और जाम को बद से बदतर बना दिया। आए दिन जबलपुर की सड़कें जाम से परेशान रहतीं हैं। लोग समय से अपने काम पर नहीं पहुँच पाते, एंबुलेंस में मरीज दम तोड़ देते हैं, इस सबके पीछे जो लोग जिम्मेदार हैं वो माफिया के साथ मिलकर जमीने, पहाड़, तालाब, नदियाँ बेचने में व्यस्त हैं। इन लोगों को अपने गिरेबां में झाँककर देखना चाहिए कि जिस काम की उन्हें तनख्वाह मिल रही है उसे छोड़ कर वे सारे वो काम कर रहे हैं, जो अनैतिक की श्रेणी में आते हैं।

1 comment:

Girish Billore Mukul said...

आए दिन जबलपुर की सड़कें जाम से परेशान रहतीं हैं। लोग समय से अपने काम पर नहीं पहुँच पाते, एंबुलेंस में मरीज दम तोड़ देते.....
मनीष जी
सही है
किंतु क्या होगा