Saturday, March 14, 2009

फ़िर ना हो ऐसी होली

होली ने इस बार ऐसा गजब ढाया कि लगा जबलपुर फ़िर से संस्कारधानी से अपराधधानी बन गया है। शहर की ऐसी कोई गली नहीं थी जहाँ चाकू-तलवारें ना चली हों। शराब की दुकाने हर वक्त खुली रहीं, हुडदंगिओं ने सरेआम छेड़खानी की, विरोध करने वालों हमले कर दिए, पुलिस कर्मी झगडों को रोकने की बजाय मूक दर्शक बने रहे। मारपीट और हथियारबाजीकी घटनाओं ने आम आदमी को दहला कर रख दिया। अरसे बाद जबलपुर में इतनी आपराधिक घटनाएँ हुईं कि चार सैकडा से अधिक लोग घायल होकर अस्पताल पहुँच गए। इनमे से कई की हालत गंभीर है। उनके परिवारजनों पर क्या बीत रही होगी ये वो ही जानते हैं। बहरहाल, मेरी तो भगवानसे यही प्रार्थना है कि फ़िर ना हो ऐसी होली।

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